AN UNBIASED VIEW OF SHAYRI

An Unbiased View of shayri

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मुझसे मेरी चाहत का सुबूत मांगते हैं वो,

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"मेहनत का ऐसा रंग चढ़ा अपने ऊपर की, लाख मुसीबतो में भी फीका ना हो।"

ہن پا ماھیا تو دم دم دھمال اپنی محبت نال دلاں دی باریاں جے رین کھلیاں

जागना भी कुबूल है रातभर तेरी यादों में,

सब हारने का जश्न मना रहे थे, हम अपने जीतने का समाचार देकर शोक फ़ैला गए।

दोस्ती क्या है पता नहीं पर जो भी है खूबसूरत बहुत है।

The poet from whose blessed pen came into existence the words and phrases “Saare jahaan se accha, Hindustan humaara” from Tarana e Hind, the countrywide poet of Pakistan, Muhammad Iqbal, was termed Allama, that means “essentially the most acquired” in Persian. He lived within the calendar year 1877 into the 12 months 1938 and made a number shayri of literary masterpieces that keep on to occupy folks’s minds Virtually a hundred many years soon after his demise.

जो हौंसले के तीर तुमने तरकश में सजाये, उन्हें अपनी मेहनत के धनुष से चलाकर धनुर्धर बनो।

"कुछ खास जादू नहीं है शायरों के पास, बस बातें दिल से निकलती हैं और दिल तक पहुँचती हैं।"

ज़िंदगी के इस कठिन सफर में किसी का साथ मिला, शुक्रगुजार हूँ उस रब का का आप के जैसा हमसफ़र मिला।

डरता हूँ कहीं तुम्हें अपनी गलतियों की वजह से खो ना दूँ।

"तुम्हारी कठपुतली वैसा ही प्रदर्शन करेगी जैसा तुम चाहोगे।"

तुम्हारी यादों पर इख़्तियार हो नही सकता

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